Dr. Vashisth

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उस बिन होली बेरंग है

सब रंग रंगीन हैं जो तू मेरे संग है
कैसे कहूं मैं उस बिन होली बेरंग है।

छोड़ अबीर, गुलाल, कीचड़ मिट्टी से खेलें
जाने कैसा अपनों को  रंगने का ये ढंग है?

तेरे होने से थी हर खुशी मयस्सर मुझे
तुझ बिन जीवन मेरा ये कटी पतंग है।

रंग गहरा है बहुत तेरी परवरिश का मां
जिसके आगे ज़माने के फीके सारे रंग हैं।

मज़ाल किसकी जो छुए आंचल तेरा अंश
जब तक तुझसे ना छूटे अपनों का संग है।

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2 Comments

kapil sharma

02-Apr-2021 10:59 AM

बहुत अच्छा लिखा डॉक्टर साब

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SAGAR BABAR

02-Apr-2021 10:11 AM

दिल को छू लिया

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